क्या है जीका वायरस, कई राज्यों पर मंडरा रहा इसका खतरा
जीका वायरस फ्लाविविरिडए वायरस फैमिली से है. ये मच्छरों से ही फैलता है. ये वायरस दिन में ज्यादा सक्रिय रहता है. खासकर गर्भावस्था में महिलाएं इससे ज्यादा संक्रमित हो सकती हैं.
जीका वायरस फ्लाविविरिडए वायरस फैमिली से है. ये मच्छरों से ही फैलता है. ये वायरस दिन में ज्यादा सक्रिय रहता है. खासकर गर्भावस्था में महिलाएं इससे ज्यादा संक्रमित हो सकती हैं.
क्या हैं खतरे
माइक्रोकेफेली : इससे प्रभावित बच्चे का जन्म आकार में छोटे और अविकसित दिमाग के साथ होता है. ये गर्भावस्था के दौरान वायरस के संक्रमण से होता है. इसमें शिशु दोष के साथ पैदा हो सकता है. नवजात का सिर छोटा हो सकता है. उसके ब्रेन डैमेज की ज्यादा आशंका होती है. साथ ही जन्मजात तौर पर अंधापन, बहरापन, दौरे और अन्य तरह के दोष दे सकता है. ग्यूलेन-बैरे: सिंड्रोम शरीर के तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और इसके चलते लोग लकवा का शिकार हो जाते हैं. हालांकि ये स्थिति स्थायी नहीं होती. युवा लोग इसका शिकार बन सकते हैं. ये न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं भी दे सकता है. क्या हैं इसके लक्षण
- बुखार
- जोड़ों का दर्द
- शरीर पर लाल चकत्ते
- थकान
- सिर दर्द
- आंखों का लाल होना
- यानि जो लक्षण डेंगु और वायरल के हैं, वही इस बीमारी के भी हो सकते हैं. लेकिन इसके वायरस का आरएनए अलग तरह का होता है.
- ये एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से ही फैलता है. ये मच्छर दिन में ही काटते हैं. खासकर सुबह जल्दी, दोपहर बाद और शाम को और किन तरीकों से ये फैल सकता है
- खून चढाने
- शारीरिक संबंधों से क्या है इतिहास
पहली बार इसका पता 1947 में चला. ये अफ्रीका से एशिया तक फैला हुआ है. ये 2014 में प्रशांत महासागर से फ्रेंच पॉलीनेशिया तक और उसके बाद 2015 में यह मैक्सिको, मध्य अमेरिका तक भी पहुंच गया. नाम जीका क्यों पड़ा
वर्ष 1947 में वैज्ञानिक पूर्वी अफ्रीका के पीले बुखार पर शोध कर रहे थे. ये शोध अफ्रीका में जीका के जंगल में रीसस मकाक (एक प्रकार का लंगूर) को पिंजरे में रख कर किया जा रहा था. उससे वैज्ञानिकों को जीका वायरस का पता चला. 1952 में इस रहस्यमय बीमारी को जीका वायरस का नाम दिया गया. वर्ष 2007 में इसका प्रभाव फिर देखने को मिला ये वायरस अफ्रीका में फैलने लगा. पहले इसे लक्षणों के कारण डेंगू या चिकनगुनिया ही समझा गया. बाद में जब बीमार लोगों के खून का परीक्षण किया गया तो खून में जीका वायरस का आरएनए पाया गया.
इसका टेस्ट किस तरह हो सकता है
- खून, मूत्र और लार से इसका टेस्ट हो सकता है बचाव कैसे करें
- मच्छरों के काटने से बचें
- शरीर का अधिकतम हिस्सा ढंक कर रखें
- मच्छरदानी का प्रयोग करें
- मच्छर पुनर्जनन रोकने हेतु ठहरे पानी को इकट्ठा नहीं होने दें
- बुखार, गले में खराश, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसे लक्षण नजर आने पर अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन और भरपूर आराम करें.
- स्थिति में सुधार नहीं होने पर फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए.ॉ
अब तक इसका कोई कारगर टीका नहीं है
- हालांकि इसका कोई खास उपचार नहीं है, तब भी पैरासीटामॉल (एसिटामिनोफेन) मददगार हो सकती है गर्भवती महिलाओं को बचाव कैसे करें
- ब्राजील के स्वास्थ्य अधिकारियों ने 2015 में प्रकोप से दंपत्तियों को गर्भधारण से बचने की सलाह दी थी
- और गर्भवती महिलाओं को उन इलाकों में यात्रा करने से बचने की सलाह दी जहां प्रकोप फैला होकहां-कहां फैला
अब इसका फैलाव ब्राजील समेत कई दक्षिण अमेरिकी देशों में हो चुका है. माना जा रहा है कि 80 से ऊपर देश इसकी चपेट में हैं.
माइक्रोकेफेली : इससे प्रभावित बच्चे का जन्म आकार में छोटे और अविकसित दिमाग के साथ होता है. ये गर्भावस्था के दौरान वायरस के संक्रमण से होता है. इसमें शिशु दोष के साथ पैदा हो सकता है. नवजात का सिर छोटा हो सकता है. उसके ब्रेन डैमेज की ज्यादा आशंका होती है. साथ ही जन्मजात तौर पर अंधापन, बहरापन, दौरे और अन्य तरह के दोष दे सकता है. ग्यूलेन-बैरे: सिंड्रोम शरीर के तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और इसके चलते लोग लकवा का शिकार हो जाते हैं. हालांकि ये स्थिति स्थायी नहीं होती. युवा लोग इसका शिकार बन सकते हैं. ये न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं भी दे सकता है.
- बुखार
- जोड़ों का दर्द
- शरीर पर लाल चकत्ते
- थकान
- सिर दर्द
- आंखों का लाल होना
- यानि जो लक्षण डेंगु और वायरल के हैं, वही इस बीमारी के भी हो सकते हैं. लेकिन इसके वायरस का आरएनए अलग तरह का होता है.
इस बीमारी के लक्षण वहीं हैं, जो डेंगू और चिकनगुनिया के होते हैं (फाइल फोटो)
किन मच्छरों से ये फैलता है- ये एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से ही फैलता है. ये मच्छर दिन में ही काटते हैं. खासकर सुबह जल्दी, दोपहर बाद और शाम को
- खून चढाने
- शारीरिक संबंधों से
पहली बार इसका पता 1947 में चला. ये अफ्रीका से एशिया तक फैला हुआ है. ये 2014 में प्रशांत महासागर से फ्रेंच पॉलीनेशिया तक और उसके बाद 2015 में यह मैक्सिको, मध्य अमेरिका तक भी पहुंच गया.
वर्ष 1947 में वैज्ञानिक पूर्वी अफ्रीका के पीले बुखार पर शोध कर रहे थे. ये शोध अफ्रीका में जीका के जंगल में रीसस मकाक (एक प्रकार का लंगूर) को पिंजरे में रख कर किया जा रहा था. उससे वैज्ञानिकों को जीका वायरस का पता चला. 1952 में इस रहस्यमय बीमारी को जीका वायरस का नाम दिया गया. वर्ष 2007 में इसका प्रभाव फिर देखने को मिला ये वायरस अफ्रीका में फैलने लगा. पहले इसे लक्षणों के कारण डेंगू या चिकनगुनिया ही समझा गया. बाद में जब बीमार लोगों के खून का परीक्षण किया गया तो खून में जीका वायरस का आरएनए पाया गया.
- खून, मूत्र और लार से इसका टेस्ट हो सकता है
- मच्छरों के काटने से बचें
- शरीर का अधिकतम हिस्सा ढंक कर रखें
- मच्छरदानी का प्रयोग करें
- मच्छर पुनर्जनन रोकने हेतु ठहरे पानी को इकट्ठा नहीं होने दें
- बुखार, गले में खराश, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसे लक्षण नजर आने पर अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन और भरपूर आराम करें.
- स्थिति में सुधार नहीं होने पर फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए.ॉ
जीका वायरस के बचाव के लिए कोई कारगर टीका नहीं बना है लेकिन छोटे मोटे एेहतियात के जरिए इससे बचाव किया जा सकता है
क्या इसका कोई कारगर टीका है- हालांकि इसका कोई खास उपचार नहीं है, तब भी पैरासीटामॉल (एसिटामिनोफेन) मददगार हो सकती है
- ब्राजील के स्वास्थ्य अधिकारियों ने 2015 में प्रकोप से दंपत्तियों को गर्भधारण से बचने की सलाह दी थी
- और गर्भवती महिलाओं को उन इलाकों में यात्रा करने से बचने की सलाह दी जहां प्रकोप फैला होकहां-कहां फैला
अब इसका फैलाव ब्राजील समेत कई दक्षिण अमेरिकी देशों में हो चुका है. माना जा रहा है कि 80 से ऊपर देश इसकी चपेट में हैं.
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