
देव दूत बने रोशन रतूड़ी उत्तराखंड (जसवीर मनवाल ) तरक्की की चाह और मजबूत आर्थिक स्थिति के लिए हमारे नौजवान देश के विभिन्न प्रान्तों में ही नहीं अपितु विदेश की धरती पर भी अपने सपनों को साकार करने के लिए निकल पड़ते हैं। घर-परिवार से दूर रहकर अपने सपनों को तमाम खुशियां देने की उनकी इच्छा उनके इरादों को मजबूत करती है। माँ-बाप भी कलेजे पर पत्थर रख बेटे की उन्नति के लिए उसे अपने से दूर भेजने को राजी हो जाते हैं और फोन पर बात कर ही सन्तोष कर लेते हैं। आज ऐसे नौजवानों के कंधों पर पहाड़ की आर्थिकी निर्भर है, उनकी कमाई से न केवल उनका परिवार बल्कि गांव के अन्य छोटे व्यवसायी भी लाभान्वित होते हैं। जौनपुर, सकलाना के सेमवाल गांव से लगभग तीन वर्ष पूर्व ऐसा ही एक नौजवान कमलेश भट्ट पुत्र श्री हरि प्रसाद भट्ट भी 22 वर्ष की कम उम्र में घर से अपने परिवार की समृद्धि के लिए अबू-धाबी (दुबई) जा पहुंचा। वहां रहकर उसके सपने परवान चढ़ने लगे। पिछले ही वर्ष बहिन की शादी कार्यक्रम में वह घर पहुंचा था, फिर छुट्टी खत्म होने पर अपने कार्यस्थल पर पहुंच गया और मेहनत और लगन के साथ अपनी आंखों में सजाये...