उत्तराखंड (जसवीर मनवाल )तरक्की की चाह और मजबूत आर्थिक स्थिति के लिए हमारे नौजवान देश के विभिन्न प्रान्तों में ही नहीं अपितु विदेश की धरती पर भी अपने सपनों को साकार करने के लिए निकल पड़ते हैं। घर-परिवार से दूर रहकर अपने सपनों को तमाम खुशियां देने की उनकी इच्छा उनके इरादों को मजबूत करती है। माँ-बाप भी कलेजे पर पत्थर रख बेटे की उन्नति के लिए उसे अपने से दूर भेजने को राजी हो जाते हैं और फोन पर बात कर ही सन्तोष कर लेते हैं। आज ऐसे नौजवानों के कंधों पर पहाड़ की आर्थिकी निर्भर है, उनकी कमाई से न केवल उनका परिवार बल्कि गांव के अन्य छोटे व्यवसायी भी लाभान्वित होते हैं।
जौनपुर, सकलाना के सेमवाल गांव से लगभग तीन वर्ष पूर्व ऐसा ही एक नौजवान कमलेश भट्ट पुत्र श्री हरि प्रसाद भट्ट भी 22 वर्ष की कम उम्र में घर से अपने परिवार की समृद्धि के लिए अबू-धाबी (दुबई) जा पहुंचा। वहां रहकर उसके सपने परवान चढ़ने लगे। पिछले ही वर्ष बहिन की शादी कार्यक्रम में वह घर पहुंचा था, फिर छुट्टी खत्म होने पर अपने कार्यस्थल पर पहुंच गया और मेहनत और लगन के साथ अपनी आंखों में सजाये सपनों की पूर्ति के लिए कर्मरत हो गया।
आजकल वैश्विक महामारी कोरोना के चलते ऐसे सभी परिवार चिंता में हैं जिनके लाल उनसे दूर हैं। कमलेश इस चिंता को दूर करने के लिए रोज घर पर फोन कर राजी-खुशी बताता था। अचानक उसकी कम्पनी के एच आर हेड का फोन आया और कमलेश की मृत्यु का दुखद समाचार घरवालों को सुनाया।खबर सुन सभी परिवारजन, गांववासी, क्षेत्रवासी सन्न रह गए।
लॉक डाउन के कारण हम ऐसी दुखद घड़ी में परिवार को ढांढस बंधाने के लिए मिल भी नहीं पा रहे हैं, ईश्वर ऐसा किसी के साथ न करे इस मुश्किल घड़ी में जहाँ पूरा विश्व कोरोना माहमारी से जंग लड़ रहा है और हर तरफ लॉकडाउन है इस कठिन वक्त में अंतर्राष्ट्रीय समाजसेवी रोशन रतूड़ी एक बार फिर देवदूत बनकर कमलेश भट्ट के शव को भारत उनकी जन्मभूमि में पहुंचाने के लिये दिन -रात मेहनत करके कागजी कार्यवाही पूरी करके 24 अप्रैल को कमलेश भट्ट के शव को दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा दिया था जहाँ भारत सरकार की बड़ी गलती से दुबई से भेजे तीनो शवों को वापस भेज दिया जिसके बाद समाजसेवी रोशन रतूड़ी ने अपने फेसबुक पेज "ℝ𝕠𝕤𝕙𝕒𝕟 ℝ𝕒𝕥𝕦𝕣𝕚 ℝℝ"पर सरकार को खूब खरी खोटी सुनाया जिसे मात्र 2घंटे में पैंतीस हजार लोगों ने शेयर किया और लोगों ने रोशन रतूड़ी की खूब तारीफ भी की यहाँ तक की रोशन रतूड़ी के इस लाइव वीडिओ का संज्ञान सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी लिया और भारत सरकार फटकार भी लगाई |दुबारा से रोशन रतुरी ने फिर दिन रात एक करके गरीब माँ के लाल का शव भारत वापस भेज दिया है आपको बतादें की कमलेश भट्ट बहुत ही गरीब परिवार से था कमलेश भट्ट की माँ भी काफी समय से बीमार है वह पैरों से चल नहीं सकती है परिवार वालों का रो -रोकर बुरा हाल है |कमलेश भट्ट के परिवार के सभी सदस्यों व छेत्र के लोगों ने समाजसेवी रोशन रतूड़ी का आभार व्यक्त किया |उत्तराखंड आजतक देवभूमि (भारत )के लाल रोशन रतूड़ी जैसे सच्चे समाजसेवी को सलाम करता है |
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