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आईएमए में कमांडेंट परेड का आयोजन, भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगे 333 युवा अफसरBy:Jasveer Manwal (Dehradun)

भारतीय सैन्य अकादमी से शनिवार को 423 कैडेट पास आउट होंगे, जिसमें 333 भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगे, जबकि अन्य 90 विदेशी कैडेट्स हैं। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नेगी ने कैडेटों में जोश भरते कहा कि सेना की प्रतिष्ठा अब उनके कंधों पर है। सैन्य अफसर बनने की राह पर अग्रसर कैडेटों ने कड़ी मेहनत के बूते यह सम्मान हासिल किया है। 

भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड से पहले बृहस्पतिवार को आईएमए में कमांडेंट परेड का आयोजन हुआ। आईएमए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नेगी ने देश की सरहदों की निगहबानी के लिए तैयार आत्मविश्वास से लबरेज भावी अफसरों की परेड की सलामी ली। भारतीय सैन्य अकादमी से शनिवार को 423 कैडेट पास आउट होंगे, जिसमें 333 भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगे, जबकि अन्य 90 विदेशी कैडेट्स हैं।
कमांडेंट परेड की सलामी लेने के बाद कैडेट्स को संबोधित करते लेफ्टिनेंट जनरल जे. एस. नेगी।

इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नेगी ने कैडेटों में जोश भरते कहा कि सेना की प्रतिष्ठा अब उनके कंधों पर है। सैन्य अफसर बनने की राह पर अग्रसर कैडेटों ने कड़ी मेहनत के बूते यह सम्मान हासिल किया है। वह सेना के मूल सिद्धांत चरित्र, साम‌र्थ्य, प्रतिबद्धता और करुणा के जरिये इसे बनाए रखें। उच्च आदर्श व उत्कृष्टता उनके कार्यो में प्रतिबिंबित होने चाहिए। सैन्य जीवन में आने वाली चुनौतियों को पार करने की सीख भी उन्होंने दी।
कमान्डेंट ने कहा कि अंतिम पग भरते ही कैडेट भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन जाएंगे। देश की उम्मीदें उन पर टिकी हैं। ऐसे में देश के मान-सम्मान को आंच न आए यह उनकी पहली जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि एक सैन्य अफसर की अपने हरेक जवान के प्रति भी जिम्मेदारी बनती है। उसके भरोसे पर खरा उतरने की कोशिश करें। यह विश्वास पेशेवर क्षमता, साहस, दृढ़ता, आचरण और सरोकार के जरिये आएगा। अपने जवानों को समझना और उनकी ताकत व कमजोरियों को पहचानना एक सतत प्रक्रिया है। मानव संसाधन का यह प्रबंधकीय कौशल अनुभव से ही आएगा। यह समग्र विकास आपको आने वाले समय में बड़े सैन्य दस्ते को समझने और कमान करने में सक्षम करेगा।
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उन्होंने विदेशी कैडेट्स को प्रशिक्षण में सकारात्मक दृष्टिकोण के लिए बधाई दी। ले. जनरल नेगी ने कहा कि यहां न केवल उन्होंने जीवनभर के लिए दोस्त बनाए हैं, बल्कि अपने देश का भी बहुत अच्छे ढंग से प्रतिनिधित्व किया। कड़े प्रशिक्षण से गुजरकर अब वह अपने देश की सेना का हिस्सा बनने को तैयार हैं। आइएमए में विकसित एकजुटता का यह भाव दुनिया के सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और उनसे निपटने में कारगर सिद्ध होगा।

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