सवालों के घेरे में सड़क सुरक्षा सेमिनार


देहरादून।  राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा सेमिनार में भाषण और आंकड़ेबाजी से सुझाव तो हजार दिए गए। मगर, समाधान को मौके पर एक भी निर्णय नहीं हो पाया। यह तब हुआ, जब मुख्यमंत्री के साथ ही नीति नियंता कार्यक्रम में मौजूद रहे। सेमिनार में समाधान का ब्लू प्रिंट नहीं निकल पाने से इसके औचित्य पर भी सवाल खड़े होते हैं। इधर, सेमिनार का पूरा फोकस राज्य के बजाय देहरादून के ट्रैफिक के इर्द-गिर्द ही रहा।

ट्रैफिक निदेशायल की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा सेमिनार की पहल को हर किसी ने सराहा। स्वयं शासन के अफसरों ने इस तरह के आयोजन की मंच से खूब तारीफ की। मगर, समाधान की बारी आई तो हर किसी ने आंकड़ेबाजी पेश कर भविष्य में सुधार पर बात टाल दी। यही नहीं एक-दूसरे से समन्वय का अभाव भी बैठक में साफ देखा गया।

मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी, परिवहन आयुक्त समेत शासन के कई सचिवों की मौजूदगी में उम्मीद थी कि अतिक्रमण, सड़क सुधार या फिर ट्रैफिक सुधार को लेकर राज्य स्तरीय निर्णय होंगे। मगर, सेमिनार का फोकस देहरादून शहर को लेकर रहा। विशेषज्ञों ने भी दून के ट्रैफिक सुधार पर ही अपने सुझाव पेश किए गए। सेमिनार में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी माना कि कानून बनाने से नहीं बल्कि उनका पालन कराने और समस्याओं के समाधान का रास्ता बनाने पर अपना सुझाव दिए जाएं। वहीं मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने कहा कि सभी विभागों को साथ लेकर इस समस्या का समाधान करना होगा। बहरहाल सड़क सुरक्षा को लेकर इस महत्वपूर्ण सेमिनार में जो उम्मीदें निर्णय को लेकर थीं, वह पूरी नहीं हो पाई।

....और भटक गई सीएम की फ्लीट 
पुलिस मुख्यालय के बगल में सेंट जोजफ्स ऐकेडमी में सेमिनार आयोजित हुआ। यहां तीन गेट में से कहां से आना और जाना था, इसकी जानकारी नहीं दी गई। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सुभाष रोड वाले गेट से आए तो वह बंद मिला। बाद में सीएम क्रॉस रोड से होते हुए दूसरे गेट पर पहुंचे। सीएम की फ्लीट भटकने से अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। बाद में पुलिस के अफसरों ने बाहर जाकर फ्लीट को रास्ता दिखाया।

नहीं जुटा पाए पब्लिक 
राज्य स्तरीय सेमिनार में सुबह से लेकर शाम तक स्कूली बच्चे ही बैठे रहे। इसमें आम पब्लिक की मौजूदगी की कमी देखी गई। पब्लिक से ज्यादा पुलिस, परिवहन एवं दूसरे विभागों के कर्मियों की भीड़ थी। खासकर ट्रैफिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाले प्राईवेट संस्थानों की मौजूदगी भी यहां कम नजर आई।
...हमने लाडला खोया अब तुम मत खोना 
सेमिनार में शामिल हुए राजपुर निवासी अखिल गोयल ने कहा कि सड़क पर खड़े उनके बेटे को 24 जनवरी 2016 को बाइक सवार युवकों ने टक्कर मार दी। इससे उनके इकलौते बेटे की मौत हो गई। रैश ड्राइविंग करने वाले बाइक सवार युवकों की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। आंखों में आंसू और जुबां पर अपील करते हुए अखिल ने आम लोगों से कहा कि हमने अपना बेटा खो दिया, मगर अब दूसरा कोई न खोये, इसके लिए सुधार की उम्मीद की जा सकती है। नेहरू कॉलोनी के किशोर जोशी का बेटा भी 2016 को ईसी रोड पर स्कूल जाते वक्त आर्मी ट्रक की चपेट में आ गया था। कई माह तक ट्रक के बारे में जानकारी नहीं लगी। मगर आराघर चौकी इंचार्ज महिलापाल रावत की मेहनत से आर्मी ट्रक पकड़ में आया। अब बच्चे को कुचलने वाले जेल जा चुके हैं।

फुटपाथ पर अतिक्रमण को लेकर दिखी पीड़ा 
परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि फुटपाथ हो या सड़क हर जगह अतिक्रमण पसरा है। इसे लेकर अफसर समन्वय बनाकर तत्काल कार्रवाई करें। कुछ ऐसा ही शिक्षा सचिव भूपेंद्र कौर औलख ने भी अतिक्रमण पर चिंता जताई।

युवाओं पर बड़ी जिम्मेदारी 
इस देश में 18 से 35 साल के युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। युवाओं के ऊपर आने वाले समय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने कहा कि युवा जो ठान ले, वह हासिल कर लेंगे। ऐसे में ट्रैफिक सुधार का जिम्मा भी युवाओं के ऊपर है। युवा ट्रैफिक को गंभीरता से लेंगे तो सुधार होगा। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने भी युवाओं को इस अभियान में जोड़ने की पैरवी की।
सड़क और महिला सुरक्षा को लगाएं दौड़ 
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने सेमिनार में 17 दिसंबर को प्रस्तावित हाफ मैराथन की जानकारी दी। कहा कि इस मैराथन में महिला सुरक्षा और सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक किया जाएगा, इस आयोजन में अवश्य भाग लें। इस दौरान सड़क सुरक्षा को लेकर मैराथन का गीत भी दिखाया गया।
इनको मिला सम्मान 
ट्रैफिक सुधार में बेहतर काम करने के लिए सेमिनार में ट्रैफिक इंस्पेक्टर राजीव रावत, प्रदीप कुमार, एसआइ बलदीप सिंह, बिपिन कुमार, महिपाल सिंह, सुनील सती, सिपाही शैलेन्द्र सिंह, वीर सिंह, पब्लिक की तरफ से सिटीजन ऑफ द मंथ मधुसूदन उनियाल, पर्ल सैम्युल को सम्मानित किया गया। इसके अलावा सड़क दुर्घटना पीड़ित अखिल गोयल व किशोर जोशी को भी सम्मानित किया।

दुर्घटना में प्रतिदिन औसत मौत 
देशभर में एक लाख पर 11
विदेशों में तीन
उत्तराखंड में-0.3

ट्रैफिक समस्या के समाधान पर ये दिए गए सुझाव 
-सब-वे, फुट ओवर ब्रिज का निर्माण।
-फुटपाथों का निर्माण, मेट्रो रेल के लिए कार्यवाही।
-ङ्क्षरग रोड, बाइपास मार्गों का निर्माण।
-स्कूलों, कॉलेजों व अन्य पब्लिक केन्द्रों पर व्यवस्थित पार्किंग।
-कस्बा क्षेत्रों में नियमित पुलिस बल तैनात करना।
-नए पार्किंग स्थल, मल्टी स्टोरी, पजल्ड पार्किंग का निर्माण करना।
-बोटल नेक का चौड़ीकरण व सुरक्षित डिवाइडर।
-रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण करना।

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