त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन से मुलाकात


देहरादून पूर्वी और पश्चिमी सीमा क्षेत्र की भांति लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से 100 किमी की हवाई दूरी पर दो लेन की सड़क निर्माण की योजनाओं में वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े सभी प्रकरणों में अनुमति देने के लिए उत्तराखंड को भी अधिकृत किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री डॉ.हर्षवर्धन से मुलाकात के दौरान यह मसला प्रमुखता से रखा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का अधिकांश क्षेत्र चीन व नेपाल की सीमा से सटा है। ऐसे में पूर्वी व पश्चिमी सीमा के लिए जो व्यवस्था है, वह यहां भी होनी चाहिए। इससे सीमा सड़क संगठन और आइटीबीपी को लाभ मिलने के साथ ही स्थानीय निवासियों को भी सड़क सुविधा मुहैया हो सकेगी। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे भागीरथी इको सेंसिटिव जोन (गोमुख से उत्तरकाशी) की अधिसूचना पर पुनर्विचार किया जाए और इससे संबंधित जोनल मास्टर प्लान को उसी प्रकार शिथिलीकरण कर स्वीकृत किया जाए, जैसा महाराष्ट्र और हिमाचल में किया गया है। उन्होंने कहा कि भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के कारण ऑल वेदर रोड परियोजना के साथ ही जलविद्युत परियोजनाओं समेत अन्य विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में दिक्कतें आ रही हैं।
उन्होंने राज्य में वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े पांच हेक्टेयर तक के प्रकरणों की स्वीकृति का अधिकार राज्य को देने और विभिन्न परियोजनाओं के मददेनजर इस अवधि को कम से कम पांच वर्ष तक रखने का आग्रह किया। इसके अलावा उन्होंने बीआरओ व केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की परियोजनाओं की भांति राज्य में पीएमजीएसवाई की सड़कों के निर्माण में भी क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण दुर्गम, पथरीली व खराब वन भूमि में कराने की अनुमति देने पर भी जोर दिया। 
कैंपा में शामिल हो राज्य की चिंता 
कैंपा एक्ट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य की चिंता भी रखी। उन्होंने कहा कि 2017-18 की 192.35 करोड़ की वार्षिक कार्ययोजना में केंद्र ने 96 करोड़ अवमुक्त किए हैं, लेकिन इसमें तमाम शर्तें लगाई गई हैं। उन्होंने कैंपा के प्रावधानों में वन सुरक्षा सुदृढ़ीकरण, मृदा एवं जल संरक्षण, मानव वन्यजीव संघर्ष रोकथाम जैसे मसलों को भी शामिल करने का आग्रह किया। 
चीड़ कटान को मिले अनुमति 
राज्य में 15 फीसद वन भूभाग में चीड़ प्रजाति के कब्जे और इसके कारण जंगल की आग में इजाफा व जैवविविधता के खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री ने एक हजार मीटर से ऊपर चीड़ कटान की अनुमति देने पर जोर दिया। इस बारे में उन्होंने कई तर्क रखे। बता दें कि राज्य में हजार मीटर से ऊपर पेड़ कटान पर रोक है। उन्होंने प्रदेश में जंगली सूंअरों की ओर से पहुंचाई जा रही क्षति के मद्देनजर इसे पीड़क जंतु घोषित करने का आग्रह भी किया।   

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