विराट भी बरतें सर डॉन ब्रैडमैन वाली ईमानदारी: बेदी

नई दिल्ली। महान स्पिनर और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने कहा है कि विराट कोहली से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है और आज के युवा उनसे काफी कुछ सीख सकते हैं। दिल्ली ऐंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन के पहले वार्षिक कॉनक्लेव में बेदी ने विराट का जिक्र करते हुए कहा, 'एक क्रिकेटर के तौर पर मैं अब भी सीख रहा हूं। पिछले तीन-चार सालों में मैंने जितनी बातें विराट कोहली से सीखीं हैं वह कल्पना से परे लगती हैं। मैदान पर किए गए उनके कुछ इशारों से मैं शायद सहमत नहीं हो सकता लेकिन जिस तरह की इंटेन्सिटी वह दिखाते हैं वह किसी भी अन्य जीवित भारतीय में नहीं दिखती। मैं उम्मीद करता हूं कि वह इसी तरह आगे बढ़ते जाएंगे।' 

बेदी ने उन तमाम क्रिकेटर्स, जो कि इस खेल में आगे बढ़ना चाहते हैं, से अपील करते हुए कहा, 'आज की पीढ़ी विराट से सीख सकती है। वह आपके बीच का ही एक लड़का है। उनके चार या छह हाथ नहीं हैं। वह साक्षात उदाहरण हैं आपके सामने। उन्होंने क्रिकेट को हमेशा अपने से आगे रखा है। आप इनसे सीखें। हम जब खेलते थे तो यह चीज हमने नवाब मंसूर अली खान पटौदी से सीखी थी। मैं गर्व महसूस करता हूं कि वह हमारे पहले कप्तान थे। आज ड्रेसिंग रूम की बात को अंदर ही रखने की परंपरा है। इस अच्छी परंपरा की नींव नवाब पटौदी ने रखी थी।' 

अपने जमाने में फिरकी गेंदों से दुनिया भर के बल्लेबाजों के माथे पर बल लाने वाले बेदी ने कहा, 'आज पेशेवर होने को बैंक बैलेंस से जोड़ा जाता है। मैंने एक बार सर डॉन ब्रैडमैन से पूछा था कि आप पेशेवर क्रिकेटर क्यों नहीं बने। सर डॉन ने कहा कि मैं खेल से मिलने वाले मजे को खत्म नहीं करना चाहता। आप किसी भी फील्ड में जैसे ही पेशेवर बनते हैं तो आपके दिमाग में कुछ ना कुछ तुच्छ विचार आने लगते हैं। मैं वैसा नहीं करना चाहता। सर डॉन से एक बार पूछा गया कि आपको लोग किस तरह याद रखें, इसको एक शब्द में बयां करें। सर डॉन ने बगैर एक सेकंड गंवाए कहा कि लोग मुझे मेरी ईमानदारी के लिए याद रखें।' 

इस वाकये को बयां करने के बाद बेदी ने विराट की ओर मुखातिब होकर कहा, 'आप भी अपने प्रति, अपनी टीम के प्रति और लाखों क्रिकेट प्रेमियों के प्रति सदा ईमानदारी बनाए रखिएगा।' 
'उस सीढ़ी को ना तोड़ें' 
बेदी ने मौजूदा दौर के स्टार क्रिकेटर्स की एक तरह से खिंचाई करते हुए कहा कि आज के बड़े क्रिकेटर्स घरेलू क्रिकेट नहीं खेलते। उन्होंने कहा कि रणजी ट्रोफी और दलीप ट्रोफी उस सीढ़ी की तरह हैं जिस पर चढ़कर सारे क्रिकेटर्स ऊपर तक पहुंचते हैं। मगर, बाद में वह उस सीढ़ी को भूल जाते हैं। उन्होंने अपील की कि तमाम क्रिकेटर्स, इंटरनैशनल क्रिकेट के साथ-साथ जब भी समय मिले घरेलू क्रिकेट भी खेलें। 

एक बोतल खून बेदी ने भारत-पाकिस्तान रिश्तों में आई खटास और दोनों देशों के बीच थम गए क्रिकेट संबंधों का जिक्र किए बगैर कहा कि उनके दौर में क्रिकेट खेलने का मकसद अमन-प्रेम भी था। लोगों को खुशियां देना और दुश्मनों को दोस्त बनाना भी था। उन्होंने 70 के दशक के पाकिस्तान दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने वहां के एक अखबार में पढ़ा कि एक बच्चे को खून की सख्त जरूरत है। उस बच्चे से संपर्क करके उसे खून देने की अपनी मंशा बताई। ब्लड डोनेशन को उन दिनों अखबारों में खूब छापा गया। बेदी ने कहा,'मैंने खून इसलिए नहीं दिया था कि मुझे खबर बनानी थी। मैं किसी की जरूरत को देखते हुए आगे बढ़ा था। जब काफी लोग वाहवाही करते हुए मेरे पास आने लगे तो मैंने कहा कि एक बोतल खून पर इतनी सुर्खियां बन रही हैं। मगर हम एक-दूसरे के खून के प्यासे क्यों हैं।' 

'सर का शुक्रिया' इस मौके पर विराट कोहली को 50 इंटरनैशनल सेंचुरी बनाने पर डीडीसीए की ओर से एक विशेष ट्रोफी देकर सम्मानित किया गया। बिशन सिंह बेदी ने विराट को यह ट्रोफी दी। कार्यक्रम शुरू होने से काफी देर बाद पहुंचे विराट ने ट्रैफिक जाम को दोष देते हुए बेदी साहब के डिसिप्लिन का जिक्र किया और कहा, 'यह अवॉर्ड बेदी सर से पाकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं जब अंडर-15, अंडर-17 क्रिकेट खेलता था तब उनसे भागता रहता था क्योंकि वह काफी कठिन ट्रेनिंग कराते थे। मगर आज मुझे फिटनेस का महत्व पता है और यह मेरे जीवन का अहम हिस्सा है। इसके लिए मैं बेदी सर को शुक्रिया कहना चाहूंगा। '

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