सुमेरु इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा नदी की भूमि पर अतिक्रमण पर बोले आज़ाद अली जैन अब नही बच पायेगा


देहरादून। उत्तराखण्ड के अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से ही यहां अतिक्रमण का सिलसिला शुरू हो गया था जो आजतलक निरन्तर जारी है। आलम ये है कि खेती की जमीनों और जंगलों को कब्जाने के बाद अब भू-माफिया नदियों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे ही नदी की भूमि पर अतिक्रमण के एक मामले में नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया। जिसकेे बाद याचिकाकर्ता ने देश की सबसे बड़ी अदालत उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद उक्त मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने राज्य सरकार व अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किया है।
गौतलब है कि समाजसेवी आजाद अली द्वारा कुछ समय पूर्व हाईकोर्ट में सुमेरु इनफ्रास्ट्रक्चर नामक कंपनी व राज्य सरकार को पार्टी बनाकर जनहित याचिका 69/2017  दाखिल की गयी थी। उक्त याचिका में कहा गया था कि, नदी की भूमि को सुमेरु इनफ्रास्ट्रक्चर के एमडी राजेश जैन/राजीव जैन पुत्र नरेंद्र कुमार जैन उर्फ नंदी जैन द्वारा नदी की भूमि को अतिक्रमण कर अपार्टमेंट व प्लोटिंग की जा रही थी। जिस पर उच्च न्यायलय नैनीताल ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से नदी की भूमि के खसरा न० 1862 की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
याचिकाकर्ता के अनुसार, जिलाधिकारी देहरादून ने नदी के खसरा न० 1862 की गोल-मोल रिपोर्ट बनाकर व नदी के खसरा नम्बर पर भिन्न-भिन्न लोगों को जमीन का भूमिधारी बताते हुए न्यायालय को रिपोर्ट पेश की, जबकि जिलाधिकारी देहरादून को यह स्पष्ट करना चाहिए था कि, नदी की भूमि किसी भी व्यक्ति या संस्था को आवंटित नहीं की जा सकती। जो नदी की भूमि में पट्टेदार के रूप में वर्तमान में नाम है वो गलत है क्योंकि, खसरा नम्बर 1862 का पूरा रकबा पूर्व में नदी का ही था, जो जमीदारा एक्ट के अनुसार बदल नहीं सकता। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, इससे राजस्व के ही कई अधिकारी व कर्मचारी घोटाले की जद में आ जाते। इसलिए उनको बचाते हुए जिलाधिकारी देहरादून ने उच्च न्यायालय को गुमराह करते हुए गलत रिपोर्ट प्रेषित की। उक्त रिपोर्ट के आधार पर ही उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया।
इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका को खारिज करने के विरुद्ध याचिकाकर्ता आजाद अली ने सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सर्वोच्च न्यायालय में अदालत न० 4 (कोर्ट न० 4) में उच्च न्यायालय द्वारा किए गए आदेश पर सुनवाई हुई। नदी की भूमि में अतिक्रमण का मामला होने के कारण उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सुमेरु इनफ्रास्ट्रक्चर के एम०डी० राजेश जैन/राजीव जैन पुत्र नरेंद्र कुमार जैन उर्फ नंदी जैन, राज्य सरकार व जनहित याचिकाकर्ता द्वारा पूर्व मे जितने भी लोगों को विपक्षी पार्टी बनाया गया था, उन सभी को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने व हाजिर होने को कहा गया।

इस प्रकरण पर याचिकाकर्ता आजाद अली ने कहा कि, नदी की भूमि पर सुमेरु इन्फ्रास्ट्रक्चर के मालिकों द्वारा जो भी अतिक्रमण किया गया है, अब मामला सर्वोच्च न्यायलय में है उन्हें न्यायपालिका पर मुझे पूरा भरोसा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि, नदी की भूमि को बचाने के लिए जो कार्य राज्य सरकार व जिलाधिकारी देहरादून को करना चाहिए था, उसे उनकेे द्वारा किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, सुमेरु इनफ्रास्ट्रक्चर के मालिकों द्वारा कई बार उन्हें प्रलोभन देने की कोशिश की गयी लेकिन, उनके द्वारा इंकार करने के बाद उन्हें कई दफा झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकियां दी गई और कई दफा ऐसी कोशिशें भी की गयी जिसके बाबत उनको मानहानि के नोटिस भेजे गए व मानहानि का मुकदमा करने का दबाव भी बनाया गया।
आजाद अली ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि उनका प्रथम कार्य सामाजिक सेवा व जनहित के मुद्दो को उठाना ही रहा है और आगे भी उनका ये प्रयास जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि, वे न्यायपालिका पर पूरा विश्वास रखते हैं। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और देश की सर्वोच्च अदालत से उन्हें शीघ्र न्याय मिलेगा।

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