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जब गुरूजी की विदाई पर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक रो पड़ा पूरा गाँव, देखिये भावुक तस्वीरें
जसवीर मनवाल :शिक्षक वो होता जिसे भारत में भगवान से भी बड़ा समझा जाता है और अगर सच में कोई शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए भगवान से बड़ा हो और शिक्षक के विदाई का वक्त आ गया हो उस समय क्या मनोस्थिति हो सकती है ये आप खुद ही समझ सकते हैं। हमारे पहाड़ों पर तो यह रिश्ता और भी खास होता है। उत्तरकाशी राईका भंकोली में शिक्षक आशीष डंगवाल की विदाई के समय सारे छात्र फूट-फूट कर रो पड़े, इस दौरान केलसु घाटी के ग्रामीण, बच्चों के अभिभावक और अन्य लोगों के आंखों में आंसु आ गए। शिक्षक आशीष भी भावुक हो गए। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
सोशल मीडिया पर शिक्षक आशीष ने अपने भावुक सन्देश में लिखा कि “आपके प्यार, आपके लगाव, आपके सम्मान, आपके अपनेपन के आगे, मेरे हर एक शब्द फीके हैं। मेरे पास आपको देने के लिये कुछ नहीं है, लेकिन एक वायदा है आपसे की केलसु घाटी हमेशा के लिए अब मेरा दूसरा घर रहेगा, आपका ये बेटा लौट कर आएगा। आप सब लोगों का से शुक्रियादा। मेरे प्यारे बच्चों हमेशा मुस्कुराते रहना। आप लोगों की बहुत याद आएगी। आपके साथ बिताए 3 वर्ष मेरे लिए अविस्मरणीय हैं भंकोली, नौगांव, अगोडा, दंदालका, शेकू, गजोली, ढासड़ा, के समस्त माताओं, बहनों, बुजुर्गों, युवाओं ने जो स्नेह बीते वर्षों में मुझे दिया मैं जन्मजन्मांतर के लिए आपका ऋणी हो गया हूँ।”शिक्षक आशीष डंगवाल मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के श्रीकोट गांव के रहने वाले हैं और जब उत्तरकाशी के केलसु घाटी से उनकी विदाई का समय था उस समय उन्हें विदाई देने पूरा इलाका उमड़ पड़ा था। इस दौरान पहले स्कूल में बच्चे उनसे लिपटकर रो पड़े। उसके बाद ग्रामीण भी आशीष को वहां से ना जाने की बात कह रहे थे, वहीं, शिक्षक आशीष भी ग्रामीणों से फिर घाटी में लौटने का वादा करते भावुक हो गए। क्या बूढ़े… क्या जवान… क्या बच्चे… हर व्यक्ति की दशा उस समय एक जैसी ही थी। ग्रामीणों ने शिक्षक को ढोल-दमाऊं के साथ शानदार विदाई दी। दरअसल, शिक्षक आशीष डंगवाल तीन साल पहले उत्तरकाशी के बेहद दुर्गम इलाके भटवाड़ी ब्लॉक के केलसु घाटी स्थित राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में एलटी टीचर के पद पर आये थे।
सोशल मीडिया पर शिक्षक आशीष ने अपने भावुक सन्देश में लिखा कि “आपके प्यार, आपके लगाव, आपके सम्मान, आपके अपनेपन के आगे, मेरे हर एक शब्द फीके हैं। मेरे पास आपको देने के लिये कुछ नहीं है, लेकिन एक वायदा है आपसे की केलसु घाटी हमेशा के लिए अब मेरा दूसरा घर रहेगा, आपका ये बेटा लौट कर आएगा। आप सब लोगों का से शुक्रियादा। मेरे प्यारे बच्चों हमेशा मुस्कुराते रहना। आप लोगों की बहुत याद आएगी। आपके साथ बिताए 3 वर्ष मेरे लिए अविस्मरणीय हैं भंकोली, नौगांव, अगोडा, दंदालका, शेकू, गजोली, ढासड़ा, के समस्त माताओं, बहनों, बुजुर्गों, युवाओं ने जो स्नेह बीते वर्षों में मुझे दिया मैं जन्मजन्मांतर के लिए आपका ऋणी हो गया हूँ।”शिक्षक आशीष डंगवाल मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के श्रीकोट गांव के रहने वाले हैं और जब उत्तरकाशी के केलसु घाटी से उनकी विदाई का समय था उस समय उन्हें विदाई देने पूरा इलाका उमड़ पड़ा था। इस दौरान पहले स्कूल में बच्चे उनसे लिपटकर रो पड़े। उसके बाद ग्रामीण भी आशीष को वहां से ना जाने की बात कह रहे थे, वहीं, शिक्षक आशीष भी ग्रामीणों से फिर घाटी में लौटने का वादा करते भावुक हो गए। क्या बूढ़े… क्या जवान… क्या बच्चे… हर व्यक्ति की दशा उस समय एक जैसी ही थी। ग्रामीणों ने शिक्षक को ढोल-दमाऊं के साथ शानदार विदाई दी। दरअसल, शिक्षक आशीष डंगवाल तीन साल पहले उत्तरकाशी के बेहद दुर्गम इलाके भटवाड़ी ब्लॉक के केलसु घाटी स्थित राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में एलटी टीचर के पद पर आये थे।
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